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7 Mar 2018 · 1 min read

फाँसले कम न रहे

जागते तुम भी रहे।
जागते हम भी रहे ।
दूर थे नही मगर ,
फाँसले कम न रहे ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@…

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