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6 Mar 2018 · 1 min read

सदा - ए-दिल

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गजल
सदा-ए-दिल
इजाजत है सितम कर लो मगर फिर भी दुआ देंगे।
तुम्हें तकलीफ गर हो तो ते’री दुनिया भुला देंगे।

हमारी हो गयी आदत गमों के संग जीने की।
रहो तुम खुश सदा खातिर तेरी खुद को मिटा देंगे।

रहे तुम बेवफा हरदम दगा तुम दे गये मुझको।
बताकर बावफा तुमको हकीकत ये छुपा देंगे।

हमें मालूम है तुम तो हमेशा रँग बदलते हो।
करे बदनाम तुमको जो वजह सारी मिटा देंगे।

जरूरत हो गयी पूरी किया बेजार खुद से है।
मगर हम प्यार के मतलब तुझे भी अब सिखा देंगे।

जरा इक बार कह दो तुम खता क्या हो गयी मुझसे।
‘इषुप्रिय’ कर तुझे आबाद खुद का दिल जला देंगे।

इषुप्रिय शर्मा ‘अंकित’
सबलगढ(म.प्र.)

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