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5 Mar 2018 · 1 min read

सच्चाई का स्वाद

चाहे जितना डालिये, कविवर मिश्री खाद !
लगे कसैला जीभ को,. सच्चाई का स्वाद !!

रहे क्रोध से फासला, उपजे नही गुमान !
मातु शारदा दीजिए, कुछ ऐसा वरदान ! !
रमेश शर्मा

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