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9 Feb 2018 · 1 min read

पीड़ा का गायक हूँ,

मैं अपने अंतर्मन की, पीड़ा का गायक हूँ,
रंगमंच पर थिरक रहा, जन-मन का नायक हूँ ।
तुम्हें वेदना से क्या लेना, नशा है दौलत का,
मन रंजन को देने वाला, भावों का दायक हूँ ।

दीपक चौबे ‘अंजान’

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