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7 Feb 2018 · 2 min read

गुलाब

जब खिला डाली पर गुलाब
तब ये महक फैली बेहिसाब
लगा ऐसे जैसे छुआ ईश्वर ने
तब ये गुलाब हुआ मेहताब
जैसे हो सुबह का आफताब
मोहबत से भरा ये गुलाब
जीवन को मोहबत सीखता
और काँटो से है इसका नाता
लेकिन कर्म है बिल्कुल जुदा
क्योंकि बिछड़ो को ये मिलता
तभी नव जोड़ा एक आया
जिनका दिल एक दूजे पे आया
उस दिन था यारो रोज डे
प्रेमी का गुलाब पे दिल आया
वो गुलाब डाली को जुदा कर आया
और तोड़कर के गुलाब मुस्काया
वो हँसता हुआ आया दोस्तों
और उसे प्रेमिका के बालों में सजाया
गुलाब बोला चल ठीक है
कि तुमने मुझको डाल से तोड़ा
कम से कम इस नाचीज ने
दो गुलाबों का दिल तो जोड़ा
फिर हुई सुबह से शाम
और गुलाब तब मुरझाया
उसे मुरझाया देखकर
प्रेमिका ने उसे कचड़े में फेंका
डे डे का चक्कर बढ़ता देख
वो कुरबानी देकर मुस्काया
और तब वेलेंटाइन डे आया
उन्हें मिलता देख डाली की ओर ललचाया
तभी हौले से ब्रेकअप डे आया
और दोनों को बड़ी दूर पहुँचाया
देखकर ये गुलाब का दिल भर आया
और तोड़ने वालों की बासना को पहिचान
उसने सोचा अगर मैं टूटता नहीं
तो मोहबत का पैगाम और देता
संदेश सच्चे प्रेम का
और हर ओर खुशबू बिखेर देता
ये कैसा इश्क का फरवरी है
जिसने गुलाबो पर कहर ढाया
और खिलती बागों को वीरान कर डाला
इस तरह तोड़ तोड़ फेका गुलाबो को
हर ओर कचड़े का ढेर बना डाला
हीर रांझा लैला मंजनू को
बस एक खेल बना डाला
जो रूह से मोहबत थी राधा कृष्ण की
उसे दो जिश्मो का मेल बना डाला
डे डे के चक्कर मे पड़कर
मोहबत को तमाशा, खेल बना डाला

ऋषभ तोमर राधे

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