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22 Jan 2018 · 1 min read

नसीहत

नसीहत
जो तुम्हें मिला था, ढंग से रख ना सका,
हमारी हृदय कश्मीर है, इस पर आँखें ना गडा़,
ऋषि – मुनियों का देश है हमारा, आतंकवादियों का है देश तेरा |
ऐसा हम नहीं कहते, दुनिया कहती है,
दुनिया तुम्हें नसीहत दे रही, भला होगा सँभल जा,

नसीहत देने के लायक बन, तब नसीहत दे हमें,
जब नाश मनुष्य पर आता है, उसका विवेक ही मर जाता है |
ऐसा ही काल छाया था रावण पर, जिसने वीरों को ही मरवा दिया,
एक के बदले तुम्हारे दस मरेंगे, फिर भी नहीं तू चेत रहा,
सँभलना है तो सँभल जा, इस बार बुरी तरह बर्बाद होगा ||

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