Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Jan 2018 · 1 min read

मुक्तक

मदमस्त गज की तरह देखो झूम रहे है,
डाकू, लुटेरे आज खुले घूम रहे है!
नेताजी बने जब से भाग्य ही बदल गया,
कानून के रक्षक भी कदम चूम रहे है!!
-विपिन शर्मा

Loading...