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21 Jan 2018 · 1 min read

हथकरियां बहुत चाहिए ।

जरूरत पड़ रही है यकायक हथकरियां बहुत चाहिए।।
बीमारों के दिमाग़ में गन्दगी सड़ी मखरियाँ बहुत चाहिए।।

चाट लेंगी लिपट के बदबू भरी कुछ भिनभिना भी लेंगी
दिनरात वही घुटरघूँ जलाने को लकरियां बहुत चाहिए।।

वेवकूफों को झुमले वाजी में कितना मजा आता है ,
बताएंगे कल हमारी ताक़त होगी मस्खरियां बहुत चाहिए।।

ग़ुलाव ए किसनयी का तमीज नहीं चले फुलवारी नराने
कहते खेती मारी गई इस बरस पंखुरियाँ बहुत चाहिए।।

उन परिंदों को पकड़ना चाहता हूँ जो रटी तालीमें मश्त हैं
फड़फड़ा लें कैद हो के वो ऐसी पिंजरियाँ बहुत चाहिए।।

आबरूह चाहे जितनी लुटे साहब उस तरफ ध्यान कहाँ
जिश्म नोचके छिन्ह भिन्ह कर दें, कंजरियां बहुत चाहिए।।

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