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19 Jan 2018 · 1 min read

मिट्टी के दिये जलाएंगे

​ ​”मिट्टी के दिये जलाएंगे”
चलो इस बार की दीवाली में मिट्टी के दिये जलाएंगे।
हर गरीब के घर से इस अंधकार को मिटायेंगे।
हो रौनक हर घर मे, ना कोई भारतवासी भूखा सोये।
करके जिद्द मिठाई की, कोई बच्चा भी ना रोये।
क्यों चकाचोंध के लिए हम लड़ियों की लाइन लगाते है,
क्यों बेवजह अपनी मेहनत के पैसे को चीन के लिए बहाते है।
अब अपने घर की मुंडेरों को दियो से हम सजायेंगे।
चलो इस बार दिवाली में मिट्टी के दिये जलाएंगे।
स्वदेसी अपनाएंगे इस बार, ये प्रण हम लेते है।
सम्मान करेंगे बुजुर्गो का, ये वचन हम देते हैं।
वैर-भाव सब मिटादेगें, ना ऊँच-नीच का भेद रहे।
हर पेट को रोटी नसीब हो, ना गरीबी की कोई मार सहे।
जलाकर दीप हर मोड़ पर, हर दिल मे हम खुशी जगायेंगे।
चलो इस बार की दीवाली में , मिट्टी के दिये जलाएंगे।
हर गरीब के घर से इस अंधकार को​ ​मिटायेंगे।
​ ​”सुषमा मलिक”

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