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13 Jan 2018 · 1 min read

कान

हमने देखे तो नहीं, दीवारों के कान
लेकिन सुनते आ रहे ,इनके अदभुत गान
इनके अदभुत गान, सावधानी ये रखनी
सोच समझ कर बात, कहीं पर भी है कहनी
रहो ‘अर्चना’ खोल, नैन भी दोनों अपने
देखे खोते मान, कान के कच्चे हमने

मुक्तक

देखे तो हमने नहीं, दीवारों के कान
लेकिन सुनते आ रहे ,इनके अदभुत गान
सोच समझ कर बात पर, करना तुम विश्वास
होंगे कच्चे कान तो ,नहीं मिलेगा मान
डॉ अर्चना

13-01-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

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