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6 Jan 2018 · 2 min read

एक मुलाकात

बहुत टाइम से ना मिला उससे में । ओर ना कभी कोशिश की।उसे पाने की । कुछ उम्मीदे थी उसके आने की । ओर कुछ रुकावटे थी मेरे न मिल पाने की । चाहा तो बहुत था मेने भी । पर चाहते कहा किसी की पूरी होती है। किसी अनजान रास्ते ही हमारी मुलाकात हुई थी ।हर मुलाकात का एक बहाना था।
ओर वो मुलाकात हमेशा की तरह यादो का एक किस्सा बन जाती । जितना याद आती उससे मिलने की उम्मीद ओर ज़िद उतनी ही बढ़ जाती । शायद 5 साल हो गए थे मुझे उससे देखे । last time शायद हम मेरे घर के पीछे तालाब के पास वाले नीम के पेड़ के यहाँ मिले थे ।उस दिन घंटो बाते की थी हमने । मुझे लगता है वो हमारी या कहे तो मेरी सबसे अच्छी और आखरी मुलाकात थी । नीम का पेड़ कड़वा जरूर होता है पर मुझे सबसे अच्छी यादे तो उसने ही बनाई थी और वो तालाब जिसमे हम पेर लटकाये उसमे कंकर फेका करते थे । ओर हा मेने उस नीम के पेड़ पर उस दिन की तारिक भी लिख रखी है और हमारा नाम भी लिखा था मेने । उसने कितना मना किया था उस दिन की कोई पड़ लेगा । पर में कहा मानने वाला था । और ये भी जानता था कि अब वो गुस्सा जाएगी ।पर मेरे लिए उससे मनना इतना मुश्किल भी नही । बड़ी गुस्सेल थी वो पर इतनी बुरी भी नही थी । simple ट्रेडिशनल typ की थी वो ।। शायद इसी लिए अच्छी लगी थी वो मुझे । ओर मेने दोस्ती भी कर ली । वो कहते है ना नादान दोस्ती ही बढ़िया है जब तक इश्क़ ना हो । best frend थे हम दोनों । 5th class थे classmet रहे । और p.g भी साथ हुए ।इतने टाइम तक मेने इतनी यादे बना ली कि वो आदत ही बन गयी ।। फिर उसे आगे की पढ़ाई के लिए foreign भेज दिया ।और में मुबंई चला गया । तब से कोई खबर ना कोई पता । बस उसका दिया हुआ एक पैन है । जब भी में अपनी टेबल पर बैठता हु ।हर बार वो पेन यादो का एक तीर छोड़ जाता है।
(बहुत टाइम से ना मिला उससे में । ओर ना कभी कोशिश की।उसे पाने की । कुछ उम्मीदे थी उसके आने की । ओर कुछ रुकावटे थी मेरे न मिल पाने की । चाहा तो बहुत था मेने भी । पर चाहते कहा किसी की पूरी होती है। किसी अनजान रास्ते ही हमारी मुलाकात हुई थी ।हर मुलाकात का एक बहाना था।)

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