Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Dashboard
Account
28 Dec 2017 · 1 min read

“मुक्तक”

“मुक्तक”

पक्के इरादे हो तो घर मजबूत होता है।
अटूट रिश्ता अपनों में वशीभूत होता है।
अजेय हो जाती हैं यादें पृष्ट खुलने पर-
अजी गैरों से कब बैर फलीभूत होता है॥-1

अखंडित दीप जलता है दिन रात।
अपार स्नेह पनप जाय हो यदि बात।
गुमसुम से बैठे हो बरखुदार क्यों-
इंतजार आँख को तकते प्रिय तात॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

Loading...