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27 Dec 2017 · 1 min read

होने लगे सुराख

जब से मेरी जेब में, ….होने लगे सुराख !
गिरने लगी समाज में, बनी बनाई साख !!

रिश्तों से जब मापते, नफा और नुकसान !
संबंधों की तब चले,…..कैसे वहाँ दुकान !!
रमेश शर्मा

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