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24 Dec 2017 · 1 min read

नया साल

नया-साल कुछ इस तरह मनाया जाए।
बे-सहारा को दे सहारा-सहारा बनाया जाए।

गुलशन-ए-नग्मा सजाया जाए।
कोई नग्मा-ए-वफा गाया जाए।

शर्म से सुर्ख इन कपोलों पर।
कहर-ए-अश्क न बरपाया जाए।

आरज़ू है यही बस इस दिल की।
जोडा-ए-सुर्ख से दुल्हन को सजाया जाए।

वफा की राह ही चले दुनिया।
क्यों न नुस्खा-ए-वफा बनाया जाए।

ग़मो को छोड़कर दरिया मे कही।
उठा के पुलिन्दा-ए-खुशी लाया जाए।

सुधा भारद्वाज
विकासनगर

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