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20 Dec 2017 · 1 min read

नाटकों में राजा रानी हो गये

नाटकों में राजा रानी हो गये
वो समझते खानदानी हो गये

जी न पाते हम तुम्हारे बिन यहां
खत पुराने ज़िंदगानी हो गये

बेवफ़ाई ने दिये थे जख्म जो
वो मुहब्बत की निशानी हो गये

राज तन मन पर करे ये रात दिन
दर्द की हम राजधानी हो गये

जब लगाया दुश्मनों को बढ़ गले
उनके चेहरे पानी पानी हो गये

‘अर्चना’ ने देखे थे सपने कभी
हाय, वो भी इक कहानी हो गये

20-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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