Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
28 Nov 2017 · 1 min read

लिखे लेखनी छंद

मातु शारदे को सुमिर , …..लिखे लेखनीं छंद !
भाव शब्द कुसुमित हुए , बिखरा मधु मकरंद !
लग जाए जज्बात का,अगर सुगंधित छौंक,
पाठक पढ प्रमुदित मना ,पावे परमानंद ! !
रमेश शर्मा.

Loading...