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26 Nov 2017 · 1 min read

मुक्तक

तेरी रुसवाई से हैरान सा रहता हूँ!
तेरी जुदाई से परेशान सा रहता हूँ!
बढ़ती ही जा रही हैं घड़ियाँ इंतजार की,
अपनी तन्हाई में वीरान सा रहता हूँ!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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