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19 Nov 2017 · 1 min read

अब दिल लगा कर वो इश्क में सदा के लिए दूर जाना चाहता है

अब दिल लगा कर वो इश्क में
सदा के लिए दूर जाना चाहता है

समुंद्र में बहती हुई कश्ती का
अब वो ठिकाना चाहता है

नहीं मिलता वक्त उन्हें मिलने का
दूर होने का कोई बहाना चाहता है

नहीं है कोई फरमाइश हमारी
वो फिर भी अजमाना चाहता है

मंझधार में फंसी कश्ती है
वो सदा के लिए डुबाना चाहता है

सपने ऊँचे दिखाकर वो
धरा पर गिराना चाहता है

अफ़साना तो मुश्किल है बनना हमारे दरमियान
वो तो इश्क को अब पेहली बनाना चाहता है

आग लगा दी हां आब में
तपिश में अपनी जलाना चाहता है

भूपेंद्र रावत
6/11/2017

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