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15 Nov 2017 · 1 min read

रिफ्यूज

सिर पर उलझे हुए बालों का टोकरा….
सिर से निकाल कर जूँ मारती,अपने में खोई कभी हँसती,कभी बिसुरती और कभी खुदसे बातें करने में मशगूल, बडे बाग के दढियल आम के गाछ के नीचे उगे करौंदे के घने झाड के नीचे बैठी कुछ पगली सी लगती सुशीला भैन्जी को देख नन्ही कम्मो सहम सी गई।बडी दीदी का हाथ और जोर से कस के पकड़ लिया …..
दीदी ये ऐसी क्यों है?..
पेड़ पर गिद्ध भी बैठे हैं.ये डरती नहीं???
दीदी बोली,”ना …रे ,ये पागल नही…….
ये जवानी में विधवा हुई ससुराल से निष्कासिंत बहू और
मायके में उपेक्षित अभागी बेटी है..
ये इसका बेस्ट रिफ्यूज है….
डाल पर बैठे गिद्धों के संरक्षण में इसने मानव रूपी गिद्धों को दूर रखने की कला ईजाद कर ली है शायद…”
अपर्णा थपलियाल”रानू”
१४.११.२०१७
मौलिक,स्वरचित

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