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14 Nov 2017 · 1 min read

शेर की तरह/पर शेर नहीं,

*शरहदें दो मुल्क की पहचान,
शर्त दो यारों की,

दो भाईयों की पहचान,
आंगन में दीवार,

प्रेम-प्यार दो दिलों का है मिलन है,
दो जिस्म एक जान,

लाख पहरे हो,
धड़कन दिलों की,
नफरत छोड़ प्रेममय हो जाती है,

दिल बहता है,
मन भटकता है,
तन झलक है उस दीदार ए प्यार की,
Mahender Singh Author at..

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