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12 Nov 2017 · 1 min read

प्यास ....

प्यास ….

होता नहीं है मन .अपना जब ये अपने पास ।
छलक उठती है नैनों से पिया मिलन की आस।
संभव नहीं मधुपलों को स्मृति से विस्मृत करना –
इन श्वासों में उन श्वासों की रहती जीवित प्यास।

सुशील सरना

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