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1 Nov 2017 · 1 min read

**सर्दी के मौसम में **

आ गयी ठंड गुलाबी वाली
निकाले स्वेटर रजाई निकाली
तरह माल खाने के दिन हैं आए
घी गुड़ से भर गयी है थाली
आ गयी ठंड गुलाबी वाली

गजक रेवड़ी मूंगफली की खुशबू
धूप में बैठ कर करते गुफ्तगू
तन को ढंके गरम कपड़ों से
हवा चली शीत लहरों वाली
आ गयी ठंड गुलाबी वाली

मक्के बाजरे की सोंधी सोंधी रोटी
घी से भरी कुरकुरी मोटी मोटी
उस पर गुड़ सरसों का साग
देख भूख होती मतवाली
आ गयी ठंड गुलाबी वाली

–रंजना माथुर दिनांक 01/11/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

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