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28 Oct 2017 · 1 min read

मुसाफ़िर हूँ कलम का...

सुनो ऐ इश्क़ वालों, मै तुम्हारा एक अख़बार लिखने आया हूँ!
जो छोड़ दिया तुमने अपनों को, मै वो एक रूप गढ़ने आया हूँ!
आखिर सब कुछ भूल कर नयी दुनिया बनाने वालों!
मुसाफ़िर हूँ कलम का, मै फिर तुम्हारा इतिहास रचने आया हूँ!!
–सीरवी प्रकाश पंवार

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