Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Oct 2017 · 1 min read

बन रहे

बन रहे?
ये वक़्त के जख्म अब नासूर बन रहे है,,,,
वो आज कल हमारे लिये हुजूर बन रहे है,,,,

जो किया करते थे हसरतो को बयाँ मुस्कुरास्ते हुये,,,,
वो हमसे बहुत जाने को दूर बन रहे है,,,,

चलो ये फैसला उनका रियासत उनकी,,,,
बस हम तो यू ही गुन्हेगार बन रहे है,,,,

कोई वजह तो है उनके आने से जाने तक की,,,,
वो ऐसे ही मेरी जान गिरिफ्तार बन रहे है,,,,

मनु समझाये हम कब तक क्या उनको बताओ सही,,,,
जो खुद बा खुद जानबूझकर गद्दार बन रहे है,,,,
मानक लाल मनु

Loading...