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19 Oct 2017 · 1 min read

ऐ बाबुल

ऐ बाबुल! बिटिया को भेजें क्यों ससुराल ?
देख ले बिटिया की ,क्या हो गई है हाल ?

ऐ बिटिया !कभी तो जाना होगा पिया के द्वार।
दुनिया की रीत को, कर ले स्वीकार।।

विदाई  करना ही था तो क्यों?  इतना प्यार दिया।
बस इतना समझ ले दुनिया से तुझको हार लिया।।
ऐ बापू! बनूंगी तेरी ढाल ।
बिटिया को भेजे क्यों ससुराल ?

पल में पराया हुआ यह घर संसार।
याद आएंगे सखियां मुझको बार-बार।।
कैसे बीतेंगे महीने कैसे बीतेंगे साल ।
बिटिया को भेजें क्यों ससुराल?

हमारी अमानत थी तू ,हमारी है चाहत ।
कैसे मिल पाएंगे तुझ बिन, मन को राहत।
मेरी बेटी बनकर ही, जन्म लेना हर बार ।
कभी तो जाना होगा ….

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