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9 Oct 2017 · 1 min read

प्रेम मोल....

II छंद – उल्लाला II

कान्हा नयन बह रहे, सुदामा चरण धुल रहे I
निर्मल छवि ये देख के,सब लोक धन्य हो रहे II

प्रेम मोल अनमोल है, जो प्रेम ही आंक सके I
तंदुल में मोहन बिके, जो त्रिलोक न तोल सके II

\
/सी. एम्. शर्मा

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