Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
8 Oct 2017 · 1 min read

मेरा तजुर्बा

खुद के तजुरबे से मैं
एक सत्य प्रसंग लिखता हूँ
सुख- दुःख ,खुशी-गम
सबको जीवन का अंग लिखता हूँ,
मुश्किलों से लड़ झगड़ के
बढ़ने को जीने का ढंग लिखता हूँ
भरोसा बहुत करता हूँ रिश्तो पर
मगर निभाने को एक जंग लिखता हूँ
भावनाएं ज्यादा तकलीफ देतीं हैं
लहू को तो महज एक रंग लिखता हूँ
भाग दौड़ में ही छूट जाती है
इस जिंदगी को मैं कटी पतंग लिखता हूँ ।
~रोहित यादव

Loading...