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7 Oct 2017 · 1 min read

#)) माँ तुम याद आती हो ((#

जब-जब चमकती है बारिश में बिजलियाँ
माँ तुम याद आती हो।
जब-जब बजती हैं कांच की चूड़ियाँ
माँ तुम याद आती हो।
जब-जब बनती हैं चूल्हे पर रोटियाँ
माँ तुम याद आती हो।
जब-जब पड़ती हैं कानों में लोरियाँ
माँ तुम याद आती हो।
जब-जब फिरती हैं बालों में उंगलियां
माँ तुम याद आती हो।
जब-जब उड़ती है आंखों से निंदिया
माँ तुम याद आती हो।
जब-जब होती हैं मन में बेचैनियां
माँ तुम याद आती हो।
जब-जब देखती हूँ भगवान् की सूरतिया
माँ तुम याद आती हो।

ऐसा कोई भी पल नहीं होता
जब तुम मुझसे दूर जाती हो।
सच तो यह है कि सांस की
हर आवन-जावन के साथ
माँ तुम याद आती हो।

—रंजना माथुर दिनांक 07/10/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

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