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30 Sep 2017 · 1 min read

आओ भगत फिर आओ तुम

गीत-आओ भगत फिर आओ तुम
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आओ भगत फिर आओ तुम
सोते है युवा जगाओ तुम
अंग्रेजी ज्यों शासन डोला
बारूदी फिर फैंको गोला
अलसाये सिंह उठाओ तुम।
आओ भगत फिर आओ तुम।
सेवा को वय मोहताज़ नहीं
समर्पण बिन कोई काज नहीं
कर्णधारों को समझाओ तुम।
आओ भगत फिर आओ तुम।
जब रंगा बसंती चोला था
कपटी सिंहासन डोला था
फिर इंकलाब दोहराओ तुम।
आओ भगत फिर आओ तुम।
दुश्मन अब नक्कारी का है
विष बेल सी मक्कारी का है
कैसे भी इन्हें हटाओ तुम।
आओ भगत फिर आओ तुम।
शहादत व्यर्थ न जा पाये
रग रग में खून खौल जाये
हर दिल में भगत दिखाओ तुम
आओ भगत फिर आओ तुम।
✍हेमा तिवारी भट्ट✍

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