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29 Sep 2017 · 1 min read

भक्ति दर्शन

माँ की भक्ति………
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एक नशा भक्ति का मुझपे छाने लगा।
माँ के सजदे में सर मैं झुकाने लगा।।

तेरे सजदे में देखा नही रात दिन।
भक्त बनता गया मैं सवरने लगा।।

प्यार तेरा मिला मुझको मईया मेरी।
रात दिन द्वार तेरे मैं आने लगा।।

तेरे भक्ति की आदत ये थमती नहीं।
जोत बन तेरे दरपे ही जलने लगा।।

मन ऐ कहता रहा अबतो रुक जा यहीं।
मन को दुत्कार मैं भक्ति करने लगा।।

तू तो ममतामयी है माँ अम्बे मेरी।
पाकर कृपा तेरी मैं निखरने लगा।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

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