Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Sep 2017 · 1 min read

तुम समझते क्यों नही हो-स्वरचित

?तुम समझते क्यों नही हो?

मेरी आँखों की हया
कर देती है मेरी हाँ को बयां,
में कह नही सकती कुछ ,
तुम समझते क्यों नही हो?

मेरा तुम्हे ना पलट के देखना भी इबादत है,
तुझे देखे बिना कुछ और ना देखना आदत है,
जग जाहिर से डरती हु,
तुम समझते क्यों नही हो?

हौसला तुम्ही हो हिम्मत तुम्ही हो, हर मंज़िल भी तुम्ही हो,
चोट तुम्ही हो मरहम भी तुम्ही हो,
मेरी हर साँस में बसा जीवन भी तुम्ही हो,
तुम समझते क्यों नही हो?

तुम्हे ना देखना मानो आँखों का धुंधलापन हो,
तुम्हे देख लेना ही स्वर्ग का अपनापन हो,
हर बात लब्ज़ों में कैसे कह दू, तुम समझते क्यों नही हो?

तेरा यु ज़िद पर अड़ जाना
मेरी बाहों में सिमट जाना,
प्यार के और भी तरीके है,
तुम समझते क्यों नही हो?

तेरा हँसना मेरा सपना तेरा रोना मेरा सब खोना,
तेरी जीत मेरी ख़ुशी तेरा दर्द मेरे जख्म,
फिर भी तुम मेरे ना हो सके ये ज़ीना मौत से बद्तर है,पर
तुम समझते क्यों नही हो?
???????

Loading...