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17 Sep 2017 · 1 min read

एक तिली हूँ

यह सच है
मैं एक तिली हूँ,
मुल्य मेरा कुछ नहीं ,
अस्तित्व मेरा है
और ना भी,
मगर फिर भी
काफी हूँ मैं ,
सबकुछ राख में
तब्दील कर देने को ,
या आशा की लौ
जलाकर एक नई
दुनिया कायम करने को।

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