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15 Sep 2017 · 1 min read

मुक्तक

इसकदर उलझी है जिन्दगी तकदीरों में!
हम राह ढूंढते हैं हाथ की लकीरों में!
इंसान डर रहा है आशियाँ बनाने से,
बंट गयी हैं बस्तियाँ कौम की जागीरों में!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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