Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Sep 2017 · 1 min read

=*= कुछ अच्छा हो जाए =*=

तकलीफों से न तू सबक ले,
जो न करे गुरूर को नष्ट।
अहंकार का जोश दिख रहा,
हो रहा है तू क्यों पथ-भ्रष्ट।
जो तू आज कर रहा प्राणी,
खुशी है कुछ पल की, हे धृष्ट।
इनकी परिणति कैसी होगी,
तुझे आभास नहीं है दुष्ट।
जैसी करनी वैसी भरनी,
बुरे कर्म का फल है कष्ट।
ऊपर वाला न्याय है करता,
उस से बचा न कोई निकृष्ट।
आज नहीं तो कल तो होगा,
तेरा यह खेल नष्ट-भ्रष्ट।
इसीलिये कहते हैं प्राणी,
कर ले कुछ-कुछ तो उत्कृष्ट।
कुछ-कुछ छवि सुधार ले अपनी,
कि ऊपर वाला भी हो आकृष्ट।

—-रंजना माथुर दिनांक 06/03/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Loading...