Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Sep 2017 · 1 min read

पतझड़

लो फिर आ गया ..पतझड़ का मौसम
फिर पत्तों से पेड़ों की बेरुखी होगी
फिर से वही दोनों में गुमशुदी होगी
फिर से दोनों एक-दूसरे से न बात करेंगे
फिर से दोनों के जज़्बात मरेंगे
फिर से प्रेम दोनों का रूप बदलेगा
हरियाली छोड़ नफरत का पीला रंग चहकेगा
एक दिन दोनों के बीच की आखिरी डोर टूट जाएगी
फिर से एक दिन दोनों के बीच नफरत मुस्करायेगी
दोनों एक दूसरे से फिर से बिछड़ जायेंगे
और हवा के झोंके उन्हें उड़ा ले जायेंगे
तब उनको अपनी गलती का अहसास होगा
दोनों के बीच का वो अहसास भी खास होगा
दोनों एक दूसरे से फिर मोहब्बत करेगें
फिर दोनों ही ख़ुद से फिर न बिछड़ने के वादे करेंगे
फिर एक दिन मोहब्बत का आग़ाज़ होगा
आज उनके इश्क़ का अलग अंदाज़ होगा

निहारिका सिंह

Loading...