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8 Sep 2017 · 1 min read

त्रिवेणी...

(१)
रुको, देखो, चलो…
जीवन तुम्हारा है..

अपनों को बेसहारा न करो.

(२)
धर्म, जात, ताज…
कोई कीमत नहीं तुम बिन..

इंसान हो तुम !

(३)
बजुर्गों की लाठी…
धरोहर हमारी..

आस्तित्व हमारा.
\
/सी.एम्. शर्मा

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