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7 Sep 2017 · 1 min read

छोटा सा बालक

गरीबी का साया
खुद से अलग
करने के लिए नहीं
बल्कि माँ की ईलाज
और रोटी के लिए
दोपहरी धूप में
छोटा सा बालक
गुब्बारे बेचने निकला था l

गुब्बारे हाथ में लिए
सड़को पर मारा मारा
फिर रहा था
पैरों में चप्पल भी नहीं थे
भैया जी गुब्बारे ले लो
बहन जी गुब्बारे ले लो
साहब गुब्बारे ले लो
चिल्ला चिल्ला कर
उनका गला सूख गया था
शरीर में थकान
साँसों की कमी घुटन
के बावजुद
गुब्बारे में गर्म साँसे
भरकर बेच रहा था ll

व्याकुल बेबस बालक
दर्द पी रहा था घुट घुट के
माथे पर चिंता की लकीरे
और रो रहा था अन्तर्मन ll

✍दुष्यंत कुमार पटेल

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