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3 Sep 2017 · 1 min read

कह-मुकरियां (अमीर खुसरो द्वारा बनाई गई कविता की एक विधा)

कह-मुकरियां
सुन्दरता ऐसी न हटती निगाहें
छोडे न कलाई सजाए वो बाहें
सुर उनका मीठा गूंजे मेरा अंगना।
ऐ सखि साजन! ना सखि कंगना।

साथ सदा रहे वो सारी उमरिया
जब जब बरसी है कारी बदरिया
साथ निभाना उनको है आता
ए सखि साजन ! ना सखि छाता।

अंखियों पर हमने है उनको बिठाया
उन्होंने भी सदा सही रास्ता दिखाया
उनके साथ मेरे लिए एक करिश्मा
ए सखि साजन! ना सखि चश्मा।

–रंजना माथुर दिनांक 03/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

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