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1 Sep 2017 · 1 min read

अहसास अनजाना

कौन अनजाना-सा हमें याद यूं आ जाता है।
पलकों को फिर से यूँ हर बार भिगो जाता है।

दिल में है दर्द निगाहों में भी समाई है तपन
कौन है वो जो अगन मन में जला जाता है।

गीत आने ही तो पाए थे अभी लब पे मेरे
भीगे अल्फाज़ों को दर्दों में डुबो जाता है।

जिन्दगी से न था मेरी कभी उनको मतलब
फिर क्यूँ बेवजह जख्म दिल के बढ़ा जाता है।

जिन्दगी में वो नहीं फिर भी ये हसरत क्यूँ है
दिल मेरा नाम पे उनके ही मिटा जाता है।

–रंजना माथुर दिनांक 01/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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