Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Aug 2017 · 1 min read

हम अनाथ

हम अनाथ,
इस दुनिया में हमारा
न घर न परिवार
कोई सुनता नहीं ?
भगवान पत्थर है और इंसान भी
ये दुनिया आज भी हमारे लिये
विरान और काँटो भरा है l

किससे कहें अपनी बात
किसको दे दोष या खुद को
दोषी कहें
सब अपनी धुन में मस्त यहाँ
पर हमारी ज़िन्दगी का कोई
ठिकाना नहीं
शाम कहीं और सुबह कहीं और
दर-बदर भटकते-फिरते है
सो जाते है भूखे पेट फूटपाथ पर !

माँ का प्यार,खेल खिलौने
हम क्या जाने
जब दर्द तकलीफ़ होता है तो
रो रो के खुद ही आँसू पोंछ लेते है
कोचतें है अपने भाग्य को

हम भी इंसान है
हमें भी साथ लेके चलों
इन्सानियत का फर्ज अदा करों !
✍दुष्यंत कुमार पटेल

Loading...