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20 Aug 2017 · 1 min read

बडे राज

बडे ही राज रक्खे है दिलों मे दबा करके
कभी कह दो बहाने से मौका पा करके
कभी तो खोलिये कुछ राज की गठरी
बहुत कुछ कह रही आंखे जरा आंसू बहा करके।

विन्ध्यप्रकाश मिश्र (विप्र)

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