Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Aug 2017 · 1 min read

अब

तेरी क़ब्र पर रखे फूल
मुरझाने लगे थे अब
और मेरे आंसू भी तो
सूखने लगे थे अब

तेरा ग़म ही तो अब
मुझमे बाकी था कहीं
जो सिसकियों को मैं
पिये जा रहा था अब

तेरी यादें जो बन्द पड़ी थीं
अंधेरे से परेशान घुटती हुईं
उन्हीं को उजाले देने को
किरण ढूंढ रहा था अब

उन यादों को आज़ाद कर
तेरे पास आ जाना चाहता हूं
पर जो ख़्वाब हमने देखे थे
उन्हें तेरी इस दुनिया में
सलामत रखने के लिये ही
जिये जा रहा हूँ मैं अब

-प्रतीक

Loading...