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18 Aug 2017 · 1 min read

"गुजरना कभी"

मन की इन वीथियों से गुजरना कभी,
इतनी तंग भी नहीं हैं जैसा तुम सोचते हो,

कुछ कंगूरे बहुत आकर्षित करने वाले हैं,
कुछ रंग तुम्हारे भी जीवन में बहार लाने वाले हैं,

कहीं- कहीं पगडण्डियों सी राह मिलेगी ,
तो क्या हुआ , मैं हूँ ना हाथ थामनें के लिये,

सम्हलना इतना भी कठिन नहीं होता,
हाँ, हवाओं के लिये काफी झरोखे हैं,

कुछ पुराने गीत भी गूँजेंगे, जो सुनना चाहोगे,
मद्धम सी ही सही मगर सुरीले होंगे,

चुरा लेना इन्हें ,ये ही तो सरगम हैं जिन्दगी के,
हाँ समेट लेना इन्हें , बिखर से गये हैं…

…..निधि…..

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