Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Aug 2017 · 1 min read

लेके अँगड़ाई हमको लुभातए रहे

212 212 212 212
ग़ज़ल
———
फ़र्ज़ अपना हमेशा निभाते रहे
जो वतन पे दिलो जां लुटाते रहे
??????????
देश की मैं हिफ़ाज़त करूँ उम्र भर
ख़ाब दिन रात हमको ये आते रहे
?????????
प्यार उनको न सच्चा लगा है कभी
उम्र भर वो हमें आज़माते रहे
?????????
नींद तो दूर कोसों हुईं आँख से
चाँद तारे भी हमको चिढ़ाते रहे
?????????
आदमी खुद न झाँके गिरेबान में
आइने को ही झूठा बताते रहे
??????????
पास आते नहीं बस हमें दूर से
लेके अँगड़ाई हमको लुभाते रहे
?????????
एक बिजली गिरी जल गया आशियाँ
राख़ लेकर वो बरतन धुलाते रहे
?????????
देके खुशियां उन्हें हम मेरे जीस्त की
जिन्दगी भर हम उनको हँसाते रहे
?????????
कैसे किरची में ये दिल बिख़रता नहीं
पत्थरों से ही दिल जब लगाते रहे
?????????
देख कर हुस्न अँगूर के बेटी की
ये क़दम खुद ब खुद डगमगाते रहे
??????????
वो समझते न “प्रीतम” मेरी तिश्नग़ी
जाम क़तरों में ही बस पिलाते रहे
?????????
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
11//08//2017
????????????????

Loading...