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9 Aug 2017 · 1 min read

पापा जैसा दूसरा, ..मिला नहीं धनवान

माँगा जो भी आजतक,मिला वही सामान !
पापा जैसा दूसरा, ..मिला नहीं धनवान ! !

बादशाह भी मूल सह , हो जाते हैं साफ !
चलें हवाएँ वक्त की,जब भी कभी खिलाफ ! !

मन के बुरे विचार से,..उपजे विष का बीज !
निश्चित है फिर हर पतन, लाख पहन ताबीज !!
रमेश शर्मा.

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