Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Aug 2017 · 2 min read

किस्सा / सांग – # गोपीचंद – भरथरी # अनुक्रमांक - 24 # & टेक – कितका कौण फकीर बता बुझै चंद्रावल बाई, भूल गई तू किस तरिया गोपीचंद सै तेरा भाई।।

किस्सा / सांग – # गोपीचंद – भरथरी # अनुक्रमांक – 24 #

वार्ता:- सज्जनों! बांदी की बात सुनके चंद्रवाल बाई आती है गोपीचंद भगमा बाणे मै चंद्रावल को भी नहीं पहचान मे आया तभी चंद्रावल बाई गोपीचंद से कैसे सवाल जवाब करती है और गोपीचंद का कैसे पता पूछती है और कैसे गोपीचंद बताता है।।

जवाब :- चंद्रावल बाई का गोपीचंद से।

कितका कौण फकीर बता बुझै चंद्रावल बाई,
भूल गई तू किस तरिया गोपीचंद सै तेरा भाई || टेक ||

गोपीचंद के नाना नानी सै कौण बता मेरे स्याहमी,
नानी पानमदे नाना गंर्धफसैन होया सै नामी,
गोपीचंद कै और बतादे कै मामा कै मामी,
मामा विक्रमजीत भरथरी बहाण मैनावती जाणी,
मामी का भी नाम बतादे उनकै ब्याही आई,
मामी पिंगला रतनकौर परी खांडेराव बताई।।

गोपीचंद के दादा दादी कौण होए फरमादे,
दादा पृथ्यू सिंह था म्हारी दादी सै कमलादे
कौण माता कौण पिता मेरे थे उनका नाम बतादे,
पिता पदमसैन मां मैनावती होए गोपीचंद सहजादे,
गोपीचंद नै और बातदे कितणी रानी ब्याही,
गोपीचंद कै सोला राणी 12 कन्या जाई।।

और बता के सन् तारीख थी वार तिथि मेरे ब्याह की,
सन् दसवां नौ चार वार बृहस्पति पंचमी माह की,
कितै आई बरात सवारी थी मेरे ब्याह मै क्या की,
टम टम बग्गी अरथ पालकी डोली थी तेरे ना की,
माचगी धूम कुशल घर घर मैं होए किसतै ब्याह रै सगाई,
ढाक बंगाला के उग्रसैन राजा नै तू परणाई।।

राज कुटुम्ब घर बार तज्या तनै किसनै जोग दिवाया,
जोग दिवाया माता नै मेरी अमर करादी काया,
राजेराम लुहारी आले कौण गुरू तनै पाया,
पाड़े कान मेरे गोरख नै जिसकी अदभूत माया,
गोपीचंद कै पैर पदम और माथै मणी बताई,
राख हटाई माथे की पैर पदम दर्शायी।।

Loading...