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1 Aug 2017 · 1 min read

गीत

काफियाःते
रदीफः हैं।

सुमन, पुष्प बागबां में नवनीत ही खिलते रहते हैं ।
कभी पतझड़ कभी बहार में दिल मिलते रहते हैं।

हमारे दिल में हैं रहते …. हमें बेग़ाना कहते हैं।
इसी मासूमियत पे… यार हम दिवाने रहते हैं।

मेरे दिलबर को प्यारी यादों के किस्से न याद रहते हैं।
उन्हें बस बेमुरव्वत मुफलिसी के हिस्से याद रहते हैं।

तेरी ही याद में जो अशआर ज़ुबां पर नीलम आते हैं
उन्हें दिल की कलम से यार अकेले लिखते रहते हैं।

नीलम शर्मा

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