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31 Jul 2017 · 1 min read

बिटिया रानी

बिटिया मेरी,रानी बन
पढ.,लिख,सुघड़ सियानी बन

ज्योत नहीं मेरे कुल की
नक्षत्रा आसमानी बन

पाहन को निर्दम्भित कर
बहता दरिया तूफानी बन

विष पीना तज अज्ञानी
वेदों की अमृत वाणी बन

सब रंगों में ढल जाए
निर्मल गंगा का पानी बन

मरियम सी ममता मयी मूरत
प्रीत की अमर कहानी बन

पत्थर में जो प्राण फूंक दे
मीरा सी दीवानी बन

आँच आए ” मासूम” आन पर
लड़ झांसी की रानी बन

मोनिका “मासूम ”
मुरादाबाद

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