Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
31 Jul 2017 · 1 min read

*** तौबा इन इश्कवालों से ***

कब तलक
बरसने का
इंतजार करते
रहे तुम
आज
तुम ही
कहते हो
बस करो
अब और नही
क्या बादल भी
कभी माना है
मनाने से नहीं
बरसा तो नहीं
जब बरसा तो
हाय तौबा
कैसी मुहब्बत है
तुम्हारी
स्वार्थ से भरी
यारी
तौबा
इन इश्क
वालों से
कर लो
ये कभी
अपने ना हुए
तो यारों के
क्या होंगे ।।
. ?मधुप बैरागी

Loading...