Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Jul 2017 · 1 min read

बदलता मौसम

हर रोज बदलते मौसम में
बेचैन हवाएँ चलतीं हैं ।
तय करना कितना मुश्किल है !
किस ओर हवाएँ चलतीं हैं ।
राही कब कौन जतन कर ले ।
धूप तपे ,अभी बारिश भीजे ।
अगले पल का कोई ठौर नहीं ।
कल के बारे में क्या कोई बूझे ।

Loading...